Monday, May 17, 2010

मूलभूत इकाई परिवार

भारतीय समाज की मूलभूत इकाई परिवार है। बदलते समय में एकल परिवारों के चलन के साथ जीवन में रिश्तेदारों और सगे-संबंधियों की महत्ता उपरी तौर पर भले ही कम हुई हो, लेकिन प्रायोगिक तौर पर अगर देखें तो युवा पीढ़ी की कई परेशानियों का हल रिश्तेदारों के माध्यम से आसानी से मिल सकता है। रिश्तेदार जीवन का ऐसा अंग हैं, जिनके लिए व्यस्तता के बीच भी समय निकालना सामाजिक जीवन के लिए बहुत जरूरी है। आज के समय में हर कोई अपने जीवन में व्यस्त है, लेकिन हमारे समाज की इकाई परिवार है और इसीलिए सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए अपने सगे-संबंधियों के संपर्क में रहना जरूरी है। समाज के ढ़ांचे को बनाए रखने के लिए साल के कम से कम एक दिन तो अपने अपनों के नाम रखना चाहिए।
भारतीय समाज में माता-पिता, पड़ोसियों और सगे-संबंधियों की अपनी भूमिका है, जिसे बेहद व्यस्त रहने वाली आधुनिक युवा पीढ़ी को भी स्वीकार करनी चाहिए। भागते-दौड़ते जीवन की कई परेशानियां रिश्तेदारों और सगे-संबंधियों के बीच विमर्श से ही सुलझ जाती हैं। महानगरों में कामकाजी लोगों को भले ही अपने सगे-संबंधियों या रिश्तेदारों से मिलने का समय न मिले, लेकिन कई परिस्थितियों में रिश्तेदारों के बीच बैठने से समस्याओं का चुटकियों में समाधान निकल जाता है। जिंदगी में दोस्तों और रिश्तेदारों की अलग-अलग अहमियत है।

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